झाबुआ : जिले में वन विभागीय कार्मिकों द्वारा रिहायशी ईलाकों में निकलने वाले सरीसृपों को पकड कर सुरक्षित वन क्षेत्रों में छोडने का सिलसिला जारी है। इसी श्रृंखला में रविवार को एक राजकीय आवास से एक दमोइ ( दो मुह वाला सांप) प्रजाति के सर्प को वन विभागीय कार्मिकों ने पकड कर सुरक्षित वन क्षेत्र में मुक्त किया। झाबुआ वन विभाग में कार्यरत वन रक्षिका एवम रेस्क्यू दल की दीपिका जितेंद्र ने अपने घर के पीछे घूम रही दमोइ को ( दो मुह वाला सांप) वन विभाग एवम् रेस्क्यू दल के अन्य सदस्यों (वन रक्षक हेमेन्द्रजी डिण्डोर /वनपाल धर्मचंदजी जैन सर ) को सुचना देकर जंगल में सुरक्षित स्थान पर छुड़वाया ।
वन मण्डल झाबुआ के वनपाल धर्मचंदजी जैन ने बताया कि वन विभाग में कार्यरत वन रक्षिका एवम रेस्क्यू दल की दीपिका जितेंद्र ने अपने आवास में एक सर्प के दिखाई देने की सूचना प्राप्त होने पर वन विभाग के दल को भेजा गया। दल के हेमेन्द्रजी डिण्डोर ने स्नैक केचर की मदद से चार फिट लम्बे दमोइ ( दो मुह वाला सांप) प्रजाति के सर्प को मुख्य द्वार के समीप नेम प्लेट के पीछे गड्डे से पकडा और देर सायं सुरक्षित वन क्षेत्र में मुक्त किया।
मेढकों के पीछे आते हैं सर्प
वर्षा ऋतु में बडे पैमाने पर रिहायशी इलाकों में सर्पों को देखे जाने के बारे में पूछे जाने पर उप वन संरक्षक ओसी चन्देल ने बताया कि सर्प इन दिनों भोजन को तलाशते हुए बहुतायत में पाए जाने वाले मेढकों के पीछे-पीछे आ जाते हैं। आम जनों को चाहिए कि वे इनकों मारे नहीं अपितु वन विभाग द्वारा इनकों पकडने के लिए बनाये गए विशेष दल को सूचित करें और इनका संरक्षण करें क्योंकि खाद्य श्रृंखला में इनकी मौजूदगी हमारे अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है।
रेस्क्यू सेंटर बनाया जाना चाहिए
ओसी चन्देल ने बताया कि सांपों को पकडने के बाद तुरंत वन क्षेत्र में छोड देना भी असुरक्षित है क्योंकि पकडे जाने के उपरान्त वे विचलित हो जाते है और वन क्षेत्र में उनकों भोजन प्राप्त करने में कठिनाई पैदा होती है, ऐसे में उनके जीवन को खतरा भी होता है। बडी तादाद में सांपों को पकडे जाने की घटनाओं को देखते हुए इसके लिए रेस्क्यू सेंटर बनवाया जाना चाहिए, जहां पर इन पकडे जाने वाले सांपों को दो तीन दिन तक रखा जाए और उन्हें अपेक्षित भोजन दिया जाए और सामान्य होने पर इन्हें वन क्षेत्र में मुक्त किया जाए। उन्होंने बताया कि झाबुआ में ऐसी कोई जगह नहीं है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि इस क्षेत्र की प्रकृति के अनुरूप इन वन्य जीवों के संरक्षण के लिए इस प्रकार के रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने के लिए मदद कर पहल करें।