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दीपावली पर बनाई झाबुआ के राजवाड़ा की रंगोली, भगोरिया परंपरा को भी किया प्रतिपादित

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झाबुआ। शहर के राधाकृष्ण मार्ग में रहने वाले युवा पुनित संजय सकलेचा ने दीपावली पर्व पर अपने घर के आंगन में ‘झाबुआ का राजवाड़ा महल’ की रंगोली बनाकर उसमें राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रहीं भगोरिया परंपरा को भी प्रतिपादित किया।  पुनित सकलेचा ने बताया कि वे पिछले 10 सालों से देश की अलग-अलग थीम पर रांगोली बनाते आ रहे है। इस दीपावली पर उन्होंने ‘झाबुआ के राजवाडा महल’ का रंगोली के माध्यम से चित्रांकन किया। हूबहू राजवाड़ा महल बनाकर महल के ऊपर दीपावली का जष्न और भगोरिया की खुशी में मांदल बजाता आदिवासी तथा झूले चकरी दिखाकर ऐतिहासिक परंपराओं की ओर लोगों को ध्यान आकर्षित करने के लिए रंगोली का निर्माण किया।  
रंगोली के साथ ली सेल्फी
पुनित ने बताया कि उनके द्वारा यह रंगोली करीब 5 घंटे में तैयार की गई।  रंगोली का शीर्षक उन्होंने ‘झाबुआ का गौरव’दिया। पुनित ने रांगोली बनाने के बाद  रंगोली के साथ अपनी सेल्फी भी ली। जिसे सोष्यल मीडिया पर उन्होंने अपने मित्रोको शेयर किया। पुनित समय-समय पर ऐसे रचनात्क कार्य अपनी रूचि अनुसार करते रहते है।

Jhabua News-दीपावली पर बनाई झाबुआ के राजवाड़ा की रांगोली, भगोरिया परंपरा को भी किया प्रतिपादित

स्वातंत्र्य वीर सावरकर की रंगोली बना कर दिया सन्देश 

झाबुआ।अंग्रेजो को देश से खदेड़ने के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र बोस और क्रांतिकारी अमर शहीद भगतसिंह सहित अनेक क्रांतिकारियों के योगदान को देश आज भी याद करता है। नेताजी सहित अनेक क्रांतिकारियों ने जिनसे प्रेरणा प्राप्त की ऐसे स्वातंत्र्यवीर , वीर सावरकर जी को लेकर आज देश भर में चर्चाओ का दौर जारी है। ऐसे में नगर के गोपाल कॉलोनी निवासी कलाकार अंबरीष भावसार ने घर आंगन में वीर सावरकर के चित्र को एक बड़ी रंगोली के रूप में उकेर कर अपनी अभिव्यक्ति दी। कलाकार अम्बरीष भावसार ने रंगोली के बारे में बताते हुए कहा कि अंग्रेजो से लड़ाई में जो एक बार भी जेल नहीं गए और आजादी की लड़ाई में जिनका कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं रहा। ऐसे लोगो को भी आजादी के तत्काल बाद भारत रत्न जैसे सर्वोच्च पुरुस्कार दिए गए जबकि आजादी के लिए बरसो बरस जिन्होंने काला पानी की कठोर यातनाए सही ऐसे क्रांतिकारियों के भी प्रेरणा पुरुष वीर सावरकर जी को भारत रत्न , आजादी के तत्काल बाद ही देकर सम्मानित किया जाना चाहिए था।
       यह देश का दुर्भाग्य की आज भी जब उन्हें भारत रत्न देने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में भी भारत विरोधी मानसिकता के लोग इस बात का विरोध करते नजर आते हैं। बस इसी विषय को जन - जन तक पहुँचाने के उद्देश्य को लेकर घर आँगन में रंगोली बनाई हैं। गौरतलब हैं कलाकार अंबरीष भावसार प्रतिवर्ष दीपावली के अवसर विषय विशेष को लेकर रंगोली बनाते हैं। उनकी रंगोली की अनेक कला साधकों ने मुक्त कंठ से सराहा।


गौ-वर्धन दिवस पर पर गौ-माता सरंक्षण की बनाई रांगोली 

झाबुआ। आल  मीडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के मप्र उपाध्यक्ष एवं जिले के झकनावदा निवासी मनीष कुमट ने दीपावली पर्व के अगले दिन आने वाले गौवर्धन दिवस पर गौ-माता के संरक्षण संबंधी रांगोली बनाकर गौ-माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिया जिसकी झकनावदा के लोगों ने प्रशंसाकी। झकनावदा निवासी मनीष कुमट ने बताया कि उन्होंने गौवर्धन दिवस पर सुबह जीवदया के प्रेम को प्रकट करती रांगोली उकेरी। जिसमें सुंदर गौ-माता के चित्र के साथ ही मटकी बनाकर जीव दया ही सर्वोपरि है का संदेश दिया, रांगोली के नीचे आईजा परिवार लिखा। यह रांगोली बनाने में उन्हें करीब आधे घंटे का समय लगा।


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