झाबुआ: हमारे शास्त्रो ने मातृ शक्ति की महत्ता देवी के समतुल्य की है । यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता के बोध वाक्य में ही महिलाओं की महत्व स्पष्ट है । दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती त्रिदेवी का अंश प्रत्येक महिला मे विद्यमान होता है किन्तु इस परमात्मा की देन की जब तक अनुभूति नही करेगें महिलाओं की स्थिति मे बदलाव नही आ सकेगा ।
देश के पूरातन इतिहास से आज तक के इतिहास को देखे तो जहां माता अनुसुईया, सीता, राधा, रूकमणी, दुर्गावती, जीजाबाई, शबरी , कस्तुरबा , जैसी महिलाओं का नाम इसलिये पूजनीय है कि उन्होने समाज में सेवा भावना के साथ ही निर्मल प्रेम के सन्देश को संचारित किया था । श्री सत्यसाई बाबा ने भी मात्र शक्ति को विश्व का प्रथम गुरू बताते हुए कहा था कि सत्य,धर्म,शांति ,प्रेम और अहिंसा के सन्देश को एक गुरू के रूप में एक माता अपने बच्चों में संस्कारित करती है और देश के भविष्य को उज्जवल करने में उसकी बहुत बडी भूमिका होती है ।
उक्त उदबोधन श्री सत्य साई सेवा समिति द्वारा मनाये जा रहे सत्य साई सप्ताह के तीसरे दिन 19 नवम्बर को महिला दिवस के अवसर पर उपस्थित साई भक्तों को संबोधित करते हुए समिति की बाल विकास संयोजिका श्रीमती ज्योति सोनी ने व्यक्त किये । समिति द्वारा प्रतिवर्ष 19 नवम्बर को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर विवेकानंद कालोनी स्थित सत्यधाम पर आकर्षक झांकी सजाई गई तथा सायंकालीन नाम संकीर्तन का आयोजन किया गया । सात दिनों तक मनाये जा रहे सप्ताह के तीसरे दिन समिति संयोजक राजेन्द्र सोनी, ज्योति सोनी, शुभन्दा पंतोजी, ओम प्रकाश नागर, हिमांशु पंवार, नगीन पंवार, शरद पंतोजी, गजानन यावले, सुशीला सोनी, ललीता, गीता देवी शाह आदि ने आकर्षक भजनों की प्रस्तुति दी । महिला दिवस के अवसर पर हल्दी कुमकुम का आयोजन किया गया । महामंगल आरती के बाद प्रसादी वितरण के साथ तीसरे दिन के कार्यक्रम का समापन किया गया ।