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महावीर स्वामीजी की पंच कल्याणक पूजन के साथ शहर में निकली भव्य रथ यात्रा

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सकल जैन श्वेताम्बर श्री संघ हुआ शामिल  
झाबुआ: तीर्थंकर प्रभु श्री महावीर स्वामीजी का जन्म कल्याणक महोत्सव परम् पूज्य वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय रविन्द्र सुरिश्वरजी मसा के आज्ञानुवर्ती एवं श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास के मुख्य आधार स्तंभ ज्योतिशाचार्य मुनिराज श्री जयप्रभ विजयजी के शिष्य रत्न मालव केसरी मुनिराज श्री हितेशचन्द्र विजयजी मसा की पावन निश्रा में बुधवार को सकल जैन श्वेताम्बर श्री संघ द्वारा धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में मुख्य रूप से श्री श्री महावीर स्वामी पंच कल्याणक पूजन पश्चात् शहर में भव्य रथयात्रा निकाली गई। जिसमें श्री महावीर स्वामीजी के जयकारों से पूराशहरगूंज उठा।           
        श्री संघ के रिंकू रूनवाल ने बताया कि बावन जिनालय में अलसुबह से श्रावक-श्राविकाऔ का भगवान के दर्शन एवं पूजन के लिए आना शुरू हो गया था। साढ़े 6 बजे श्री भक्तामर स्त्रोत एवं गुरू गुण इक्कीसा का पाठ हुआ। पश्चात् केसर पूजन करने का लाभ श्रीमती बिंदु भंडारी द्वारा लिया गया। साढ़े 7 बजे श्री महावीर स्वामीजी की पंच कल्याण पूजन श्री आदिनाथ राजेन्द्र संगीत मंडल द्वारा पढ़ाई गई। पूजन की विधि ओएल जैन द्वारा संपन्न करवाई गई। पश्चात् शांति कलश राजेन्द्र भंडारी द्वारा किया गया। चेत्यवंदन की विधि श्री संघ उपाध्यक्ष यशवंत भंडारी द्वारा संपन्न करवाई गई। 
 जय बोलो महावीर स्वामी की ..... से गूंजा शहर 
          बावन जिनालय से सुबह साढ़े 9 बजे से भव्य रथ यात्रा निकाली गई। जिसमें आगे घोड़े पर जैन ध्वज लेकर प्रतीक रितेष मेहता एवं प्रतीक मुथा बैठे थे। इसके पीछे बैंड-बाजों पर धार्मिक गीतों की प्रस्तुति दी जा रही थी। रथ यात्रा में मुनिश्री हितेशचन्द्र विजयजी मसा के साथ समाज के पुरुष सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए। रथ पर भगवान महावीर स्वामीजी की प्रतिमा विराजमान थी। रथ में बैठने का लाभ श्रीमती उषा सुभाष कोठारी द्वारा लिया गया। सारथी के रूप में जीवन बेन पोरवाल बैठी थी। प्रभुजी को चंवर द्वारा ढुलाए जा रहे थे। रथ को समाज के युवा निखिल भंडारी, अमित मेहता, जितेन्द्र वरमेचा, अभिशेक गौखरू, पलाष प्रधान, विपुल कटारिया, हर्षित रूनवाल, नैतिक रूनवाल आदि द्वारा खींचा जा रहा था। महिलाएं 14 स्वपनाजी लेकर चली रथयात्रा में महिलाएं एक जैसी वेशभूषा में माता त्रिशला रानी द्वारा देखे गए 14 स्वपनाजी को अपने सिर पर लेकर चल रही थी। इसके पीछे बग्घी पर सिद्धार्थ महाराजा अर्पित संघवी एवं त्रिशला रानी बनकर हिमानी संघवी बैठी थी। इसके पीछे भगवान महावीर स्वामीजी के जयघोष लगाते हुए महिलाएं एवं बालिकाएं बड़ी संख्या में चल रही थी।         
         रथयात्रा में क्षेत्रीय विधायक शांतिलाल बिलवाल, नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया, पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष विजय चौहान, पार्षद जितेन्द्र पटेल, युवा कांग्रेस नेता डॉ. विक्रांत भूरिया, जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष आशीष भूरिया, हेमचंद डामोर, सकल व्यापारी संघ अध्यक्ष नीरजसिंह राठौर, ब्राह्राण समाज से जितेन्द्रप्रसाद अग्निहोत्री भी शामिल हुए। यात्रा शहरके रूनवाल बाजार, बाबेल चौराहा, आजाद चौक, नेहरू मार्ग, राजवाड़ा चौक, लक्ष्मीबाई मार्ग होते हुए पुनः बावन जिनालय पहुंची। जहां मुनिश्री द्वारा चैत्यवंदन किया गया। पंकज धर्मचन्द मेहता द्वारा भगवान महावीर स्वामीजी की आरती की गई एवं दादा गुरूदेव राजेन्द्र सुरिश्वरजी मसा के गुरूवंदन किए गए। पश्चात् धर्मसभा का आयोजन हुआ। जिसकी शुरुवात गुरूवंदन कर धर्मचन्द मेहता द्वारा की गई। 
महावीर स्वामीजी के चित्र पर किया माल्यार्पण 
          मुनिश्री द्वारा मंगलाचरण किया गया। भगवान महावीर स्वामाजी के चित्र पर दीप प्रज्जवलन श्री संघ उपाध्यक्ष यशवंत भंडारी, सुभाष कोठारी, युवा कांग्रेस नेता डॉ. विक्रांत भूरिया, आशीष भूरिया ने किया एवं माल्यार्पण मुख्य अतिथि सांसद कांतिलाल भूरिया द्वारा किया गया। पश्चात् वर्धनमान स्थानकवासी श्री संघ अध्यक्ष प्रदीप रूनवाल एवं तेरापंथ महासभा सचिव दीपक चौधरी ने महावीर स्वामीजी के जीवन पर प्रकाश डाला। महावीर स्वामीजी के वार्षिक चढ़ावे में सुनील कुमार संघवी एवं माणिभद्रजी का दीपक के चढ़ावे का लाभ प्रतीक निर्मल मेहता द्वारा लिया गया। युवा रिंकू रूनवाल द्वारा अतिथितियों को समाज के दुपट्टे पहनाए गए। प्रत्येक जीव को धर्म से पहले मानवता को ग्रहण करना चाहिए        
           धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री हितेशचन्द्र विजयजी मसा ने बताया कि भगवान महावीर स्वामीजी ने अहिंसा, सत्य, आचार्य, ब्रह्राचर्य एवं अपरिग्रह के मुख्य महाव्रतों को बताया। इन महाव्रतों को अंगीकार कर जीव अपनी आत्मा का कल्याण कर मोक्ष सुख को प्राप्त कर सकता है। प्रभु महावीर स्वामीजी ने अनेकान्तवाद एवं स्यादवाद के मुख्य सिद्धांतो को बताया, जो आज भी प्रासंगिक है। भगवान महावीर स्वामीजी ने श्रावकों के लिए 12 व्रतों  को बताए। पूज्य श्री ने सभी समाजजनों से समन्वयकता एवं संगठन की एकता पर जोर देते हुए कहा कि जहां संगठन है, वहीं उन्नति है। प्रत्येक जीव को धर्म से पहले मानवता को ग्रहण करना चाहिए, क्योकि जहां प्रेम, अनुकंपा एवं मानवता है, धर्म वहीं टिकता है और विद्यमान रहता है। 
 ये थे उपस्थित 
     इस अवसर पर बड़ी संख्या में सकल जैन श्री संघ के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थी। धर्मसभा का संचालन सुश्रावक संजय मेहता ने किया एवं आभार अनिल रूनवाल ने माना। कार्यक्रम के समापन पर साधर्मी वात्सल्य का आयोजन होगा। जिसमें विषेश सहयोग अनिल रूनवाल एवं अरविन्द लोढ़ा द्वारा प्रदान किया गया।

Mahavir-Swami-Kalyank-Liturgy-of-the-punch-out-of-the-city-grand-Rath-Yatra-jhabua-2016-महावीर स्वामीजी की पंच कल्याणक पूजन के साथ शहर में निकली भव्य रथ यात्रा
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