झाबुआ ( अनुप भंडारी ) ।आज कल पूरे जिले स्वच्छता अभियान को लेकर हर अधिकारी को एक नशा सा चढा हुआ है । और इस नशे को सामाजिक एवं सामुदायिक दृष्टि से हम गलत नही मानते क्योंकि स्वच्छता अभियान चला कर स्वच्छ भारत के सपने को साकार जो करना है । हमारे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सभी सामुदायिक स्वच्छता को लेकर प्रतिदिन अपने उदबोधन में इसका जिक्र भी करते हे तो तो फिर जिला प्रशासन इससे कैसे पीछे रह सकता है । जिले के कलेक्टर आशीष सक्सेना साहब ने जिला मुख्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को फरमान जारी किया था कि रविवार के दिन पूरे कलेक्टर कार्यालय के बगीचे एवं परिसर की सभी श्रमदान करके साफ सफाई करेगें । जिला कलेक्टर का आदेश था तो पालन तो सभी को करना ही होता है, जब स्वयं कलेक्टर ऐसे मौको पर उपस्थित रहते है तो जाहिर है सभी अधिकारीगण एवं अधीनस्थ कर्मचारी भी स्वच्छता के इस अभियान में आगे आकर हाथ मे झाडू लेकर सफाई कार्य करने में जुट ही जाते है ।
जिले के पुलिस अधीक्षक महेशचन्द्र जैन पिछले कुछ माहों से इसी प्रकार के स्वच्छता के अभियान को सफलता पूर्वक चला रहे है । इसका मुख्य कारण है स्वयं एसपी साहब न सिर्फ फरमान जारी करते है वरन वे स्वयं भी सफाई के काम में अन्यों की तरह जुट जाते है । किन्तु कलेक्टर साहब के आदेश जारी करने के बाद भी रविवार को कलेक्टर कार्यालय के परिसर में जब स्वयं कलेक्टर साहब ही उपस्थित नही हुए तो भला जिले के अन्य अधिकारी अपनी छुट्टी का मजा किरकिरा क्यों करते ? संभवतया सूत्रों से पता लगा लिया होगा कि कलेक्टर साहब इस स्वच्छता अभियान में नही आये है तो उन्होने भी तडी मारने में कोई गुरेज नही किया ।
सिर्फ कलेक्टर बगीचे एवं परिसर की सफाइ्र के इस अभियान में आदेश का पालन करने वालों में एसडीएम श्री बालोदिया, तहसीलदार श्रीमती अंजली गुप्ता, नगरपालिका सीएमओ एमआर निंगवाल एवं उद्यानिकी उप संचालक विजयसिंह के अलावा तहसील कार्यालय के अधीनस्थ हुकुम का बजाने वाले बेचारे पटवारीगण एवं 100-100 मोटरभाडा खर्च करके गा्मीण क्षेत्र के कोटवार लोगो के अलावा कलेक्ट्रेट के अशोक चौहान एवं एटीओ श्री सांकला ही सफाई के लिये प्रातः 8 बजे कलेक्टर कार्यालय पहूंचे और जिलाध्यक्ष के प्रदत्त आदेश के अनुसार गार्डन एवं कार्यालय परिसर साफ सफाई के इस कार्य में पूरे मनोवेग निपटाया ।
जबकि जिला मुख्यालय के इस जिला कार्यालय परिसर में ही दर्जनों जिला कार्यालय है, जिसमें आदिवासी विकास विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग, पंचायत एवं सामाजिक न्याय, जिला पंचायत डीआरडीए, के अलावा अपर कलेक्टर पाव दर्जन से अधिक डिप्टी कलेक्टर, सैकडो की संख्या में लिपिकीय अमला, कोषालय, जिला योजना कार्यालय , के अलावा जिला मुख्यालय पर सीएमएचओ कार्यालय, श्रम विभाग, आबकारी विभाग, आदि आदि बडे बडे विभागों के अधिकारी नदारद ही दिखाई दिये ।वही जिले की जन संपर्क अधिकारी अनुराधा गेहरवाल सिर्फ औपचारिकता निभाने आई और उन्होने मोबाईल कैमरे से फोटो लेकर चली गई । उन्हो ने झाडू को हाथ तक नही लगाया जबकि स्वयं तहसीलदार अंजली गुप्ता महिला अधिकारी होने के बाद भी परिसर एवं गार्डन की साफ सफाई में जुटी रही ।
सवाल यही उठता है जब स्वयं सेनापति ही मौके पर नही आयेगें तो तय है कि उनकी सेना भी आनाकानी करेगी ही । इस तरह जिला मुख्यालय के जिला कार्यालय के परिसर की साफ सफाई पटवारियों, कोटवारों एवं आधा दर्जन आज्ञाकारी अधिकारियों के दम पर ही संपन्न हो गई । ऐसे में संभव है कलेक्टर साहब कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते इस अभियान में शामील नही हो पाये हो ऐसे में जिला कार्यालय के अन्य अधिकारियों को रविवारिय अवकाश का मोह त्याग कर उनके आदेशों के पालन करने में अपने स्टाफ सहित भागीदार होकर एक अनुकरणीय उदाहरण पेश करना चाहिये था- किन्तु ऐसा नही हो सका जब स्वयं अधिकारी ही स्वच्छता के इस अभियान में शामील नही हुए तो फिर उनके माहततों से कैसे उम्मीद की जावे कि वे कलेक्टर साहब के आदेशो का पालन करके हाथ में झाडू उठा कर सफाई के अभियान मे सहभागी बनते ।
रविवार को कलेक्टर परिसर एवं गार्डन की सफाई के इस काम में पटवारी संघ जिला अध्यक्ष अखिलेश मूलेवा, नानूराम मेरावत गोविन्द हाड़ा, हमेंद्र कटारा, बाबूलाल सोनी, लक्ष्मी, राजस्व निरीक्षक भाबर जिला नाजिर अशोक चैहान सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे । अब विचारणीय यह है कि जब कलेक्टर साहब ने स्वच्छता कार्य को लेकर लिखित में सूचना दी थी तो फिर इसका पालन जिन अधिकारियों को करवाना चाहिये था, वे ही स्वयं गायब रहे तो ऐसे में इसे गंभीरता से लिया जावेगा या फिर जैसा चल रहा है वेसा ही ठीक चलता रहेगा ।
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परिसर एवं बगीचे की सफाइ्र करते पटवारी एवं तहसीलदार, कोटवार |
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कलेक्टर ने जारी किया था यह आदेश |