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गंगाखेडी मे महानवमी को हुआ विशाल भंडारे का आयोजन

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मानवमात्र के प्रति प्रेम एवं करूणा से मां का मिलता है आशीर्वाद - प्रतापसिंह राठौर

गादी के माध्यम से कल्लाजी महाराज ने किया परेशानियों का निवारण

झाबुआ । नवरात्री के अन्तिम दिन गंगाखेडी स्थित श्री नागणेचा माताजी के दरबार में दिन भर भक्तो एवं श्रद्धालुओं की भीड बनी रही । चमत्कारिक तीर्थग्वत मां नागणेचा के दरबार में श्री कल्लाजी महाराज के द्वारा  गादीपति  प्रतापसिंह जी राठौर द्वारा आगन्तुक सभी श्रद्धालुओं को गादी के माध्यम से उनकी समस्याओं एवं परेशानियो का निवारण किया । इस अवसर पर 500 से अधिक लोगों के द्वारा कल्लाजी के दरबार में दस्तक दी गई । उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, बांसवाडा, झाबुआ, के अलावा निकटवर्ती क्षेत्रों से बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां पहूंचकर मा नागणेचा एवं कल्लाजी महाराज के आशीर्वाद प्राप्त किये । 
         इस अवसर पर गादीपति प्रतापसिंह जी राठौर ने अपने सन्देश में कहा कि शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए दुर्गा का रुप लिया था। महिषासुर एक राक्षस था जिससे मुकाबला करना सभी देवताओं के लिए मुश्किल हो गया था। इसलिए आदिशक्ति ने दुर्गा का रुप धारण किया और महिषासुर से 8 दिनों तक युद्ध किया और नौवें दिन महिषासुर का वध कर दिया। उसके बाद से नवरात्रि का पूजन किया जाने लगा। नौवें दिन को महानवमी के दिन से जाना जाने लगा। इसके साथ ही सबसे पहले भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले नौ दिन मां दुर्गा की पूजा की थी और इसके बाद लंका पर चढ़ाई करके दसवें दिन रावण का वध किया था। इसलिए नवरात्रि के अगले दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है। 
        इस दिन को सच्चाई की बुराई पर जीत और धर्म की अधर्म की जीत के रुप में मनाया जाता है। शारदेय नवरात्रि में आने वाली नवमी को महानवमी भी कहा जाता है। नवमी नवरात्रि का नौवां दिन और दुर्गा पूजा का आखिरी दिन होता है। देवी दुर्गा के इस अंतिम स्वरुप को नव दुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से यह तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का भी एक रूप माना जाता है। सिद्धिदात्री मां की पूजा के बाद ही अगले दिन दशहरा त्योहार मनाया जाता है। मानव मात्र को माता की कृपा प्राप्त करने के लिये अपने हृदय में व्याप्त सभी बुराईयों को साफ करके मानव मात्र के प्रति प्रेम एवं करूणा का भाव रखना चाहिये इससे मां दुर्गा की कृपा निश्चित ही सभी को प्राप्त होगी ।
मां नागणेचा के दरबार में कल्लाजी धाम पर आयोजित  नवरात्री के अन्तिम दिन  प्रातः 11 बजे से नवदुर्गा महायज्ञ मे मंत्रोच्चार के साथ आहूतिया दी गई तथा इसके बाद मां नागणेचा की महा आरती संपन्न हुई । ढोल नगारों के बीच हुई आरती मे बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया । इस अवसर पर महा भंडारे का आयोजन किया गया जो सायंकाल 5 बजे तक सैकडो की संख्या में श्रद्धालुओं ने भंडारी प्रसादी ग्रहण की । महा नवमी के आयोजन में ठा. हनुमंतसिंह डाबडी, ठा. नरवरसिंह मोहनपुरा, ठा. मांधातासिंह डाबडी, कैलाश सोनी उज्जैन, कृष्णपालसिंह घुघरी एवं देवेन्द्रसिंह गांगाखेडी का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ । कला बाबजी की गादी सायंकाल 5 बजे तक चली तथा सभी आगन्तुकों को प्रसादी का वितरण किया गया । रात्री जागरण के साथ ही शनिवार को माताजी के ज्वारे का विसर्जन किया गया ।

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