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नीरज खतेडिया भारत तिब्बत सहयोग मंच के जिलाध्यक्ष नियुक्त

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झाबुआ ।  जिले में रक्तदान जैसे महत्चपूर्ण क्षेत्र में प्रेरणादायी कार्य करने वाले ,सूचना एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज जीवन मे कार्य करने वाले नीरज खतेड़िया को भारत तिब्बत सहयोग मंच का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उक्त नियुक्ति संघ के प्रदेशाध्यक्ष भंवर सिंह चौधरी ने प्रदेश महामंत्री दीपक पंवार  से परामर्श के पश्चात की है। श्री खतेडिया को उक्त दायित्व सौपे जाने पर क्षेत्रीय विधायक शांतिलाल बिलवाल, थांदला विधायक कलसिंह भाबर, पेटलावद विधायक सुश्री निर्मला भूरिया, प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य शैलेष दुबे, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया, भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष  बबलु सकलेचा, डा. वैभव सुराणा आदि ने बधाईया देते हुए प्रदेशाध्यक्ष भवरसिंह चैधरी एवं प्रदेश महामंत्री दीपक पंवार का धन्यवाद ज्ञापित किया है । श्री खतेडिया को जिले भर से बधाईया मिल रही है ।
नीरज खतेडिया भारत तिब्बत सहयोग मंच के जिलाध्यक्ष नियुक्त-Neeraj-Khatadia-appointed-as-District-President-of-India-Tibet-Cooperation-Forum
नीरज खतेडिया
           नव निर्वाचित अध्यक्ष नीरज खतेडिया ने उन्हे सौपे गये दायित्व के लिये आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि वे पूरे जिले में संगठन की मंशा के अनुरूप् दायित्वों का निर्वाह करेगें । उन्होने भारत तिब्बत सहयोग मंच के बारे में बताया कि उक्त मंच का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रारंभ से ही तिब्बत की आजादी का पक्षधर रहा है 1954 में जब चीन के साथ भारत ने पंचशील समझौता किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू समेत पूरी कांग्रेस पार्टी गली मोहल्ले, गांव शहर हिन्दी चीनी-भाई भाई के नारे लगा रहे थे उस समय देश के गृहमंत्री सरदार पटेल , संघ के उस समय के सरसंघचालक श्री गुरुजी और देश के अनेक राष्ट्रवादी नेताओं ने पण्डित नेहरू को चीन से सावधान रहने के लिए कहा लेकिन पं.नेहरू ने किसी की न मानी और उसका परिणाम 1962 में चीनी आक्रमण से देश को शर्मसार होना पड़ा। 
         आज देश के दो राज्य  कश्मीर और अरुणांचल आतंकवाद एवं चीनी विस्तारवाद से पीड़ित है, दोनों ही समस्याओं के पीछे नेहरू, कांग्रेस और  इनकी सरकारें ही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार जब जम्मूकश्मीर और हिमाचल प्रदेश के संघ प्रचारक थे उस समय अनेकों तिब्बती धर्मगुरु एवं तिब्बती नेता उनसे मिलकर तिब्बत की आजादी के लिए भारत में आन्दोलन की बात करते थे तब इन्द्रेश ने 5 मई 1999 को हिमाचल के धर्मशाला में भारतीय एवं तिब्बती समुदाय के लोगों को जोड़कर भारत-तिब्बत सहयोग मंच की स्थापना की। स्थापना के समय तिब्बती धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा जी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ अधिकारी पूर्व सरसंघचालक सुदर्शन का भी आशीर्वाद मिला।इस कार्य के लिए शिक्षाविद इस समय केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के उपकुलपति डा. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री को संयोजक तय किया। 
         आज भारत के सभी प्रान्तों में मंच की सक्रिय इकाइयां गठित है, इसके अतिरिक्त मंच ने महिला विभाग, युवा विभाग, अधिवक्ता विभाग, बुद्धिजीवी विभाग, विश्वविद्यालय छात्र विभाग, अर्थव्यवस्था एवं वाणिज्य विभाग भी गठित किये जो कि अपने अपने क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। आज पूरे देशभर में भारत तिब्बत सहयोग मंच के लाखों कार्यकर्ता चीन की विस्तारवादी नीति, चीन से तिब्बत की आजादी, चीन द्वारा कब्जाई भारत की लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर भूमि को वापस लेने और हमारी आस्था के प्रतीक आराध्य देव भगवान शंकर  के निवास स्थान कैलाश मानसरोवर को चीन से मुक्त कराने के लिए देशभर में जनजागरण कर रहे हैं।
           वर्ष 2012 से इन्द्रेश के मार्गदर्शन में भारत तिब्बत सहयोग मंच द्वारा तवांग तीर्थ यात्रा शुरू की गई। इस यात्रा की जिम्मेदारी मंच के महामंत्री पंकज गोयल जी को संयोजक के नाते दी गई। यह यात्रा हर वर्ष अक्टूबर, नवम्बर मास में होती है, हर वर्ष इस यात्रा का स्वरूप और आकार भी बढ़ रहा है इस यात्रा का उद्देश्य है अरुणांचल और भारत के अन्य प्रान्तों के नागरिकों  के बीच आपस मे तालमेल हो, अरुणांचल में पर्यटन को बढ़ावा मिले और बड़ी बात यह है सभी यात्री भारत-तिब्बत सीमा, बुमला बार्डर पर लघु भारत के रूप में धरती माता पूजन करके भारत माता की जय, वंदेमातरम आदि नारे लगा कर चीन को स्पष्ट रूप से संकेत देते है।



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