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झाबुआ के एक शख्स का नाम है ‘26 जनवरी’

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        झाबुआ : मंदसौर में रहने वाले एक शख्स का नाम ही 26 जनवरी है. इस आदमी को यह खास नाम मिला उनके पिता से और अब यह उनकी जिंदगी का हिस्सा है. साल 1966 में पैदा हुए 26 जनवरी को अब शायद इसकी आदत पड़ गई है.  
             इस शख्स की पीड़ा उनके नाम को लेकर है. वे हर वक्त इससे दुखी रहते हैं और मजाक का कारण तो बनते ही है, उन्हें अपने नाम के कारण दस्तावेजों को भी दिखना पड जाता है. हालांकि उनका जन्म दिन पूरा देश उत्साह और उमंग के साथ मनाता है, बावजूद इसके वे अपने नाम को लेकर पीडि़त और दुःखी है. 
            मंदसौर में रहने वाले सत्यनारायण टेलर ने अपने बेटे का नाम ‘26 जनवरी’ रखा , क्योकि वे 26 जनवरी 1966 के दिन पैदा हुये थे. गणतंत्र दिवस पर पैदा हुये बेटे की खुशी में सत्यनारायण ने उसका नाम ही ’26 जनवरी’ रख दिया. परंतु 26 जनवरी को बचपन से लेकर जवानी और जवानी से लेकर नौकरी करने तक में यह नाम परेशानी का सबब बन गया. 
 झाबुआ के उदयगढ़ में कार्यरत थे पिता " सत्यनारायण टेलर "
              सत्यनारायण टेलर प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में उदयगढ़ जिला झाबुआ में कार्य करते थे. सेवानिवृत्त होने पर वे परिवार सहित मंदसौर आ गये. उनके जिस ’26 जनवरी’ नामक बेटे की बात हो रही है, वे डाइट में बतौर भृत्य सेवारत है और नाम के कारण चर्चा में बने रहते है. उनके पिता ने उनकी जन्म दिनांक को ही नाम बना दिया. हालांकि पांचवी बोर्ड की परीक्षा में उनके पिता को सलाह दी गई थी कि वे नाम बदला सकते है परंतु उन्होंने नहीं माना. 
             
26-january-taylor-man-name-in-jhabua

             26 जनवरी को अपने नाम के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि 1998 के लोकसभा चुनाव के मतदान दलों की सूची में सबसे उपर उनका नाम था. सूची को देखकर तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव भड़क गये और कहा ये क्या मजाक है.... और उन्होंने सूची पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. इसके बाद 26 जनवरी को अपना प्रमाणीकरण देना पड़ा था. इसके अलावा एक बार डाइट के कर्मचारियों का वेतन इसलिये कोषालय ने रोक दिया था कि अधिकारियों को 26 जनवरी नाम होने पर फर्जीवाड़े का संदेह हो गया था. आखिरकार यहां भी 26 जनवरी को प्रमाणीकरण के साथ नियुक्ति पत्र देना पडा, तब जाकर उनके सहित अन्य कर्मचारियों को वेतन मिल सका. हालांकि लोगों ने कहा कि इस नाम को बदल लीजिए, लेकिन पिता को नाम बदलना ठीक नहीं लगा. नाम की वजह से एक तरफ बेटे की जिंदगी दिलचस्प बनी तो दूसरी तरफ उनको कई मुसीबतें भी झेलनी पड़ीं.एक बार तो नौकरी के दौरान सैलरी नहीं मिली, क्योंकि ऑफिस में उनके नाम को लेकर संदेह था. फिलहाल डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान)में पदस्थ 26 जनवरी 22 साल से सेवा दे रहे हैं.

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