झाबुआ : स्वास्थ्य विभाग कि टीम ने एक क्लिनिक में रेड की जहाँ एक बिना डिग्री का इलाज़ कर रहे झोला छाप डॉक्टर को पकड़ा गया। झोला छाप डॉक्टर काफी समय से आस-पास के लोगो को दवाइयां देकर उनका इलाज करता आ रहा था जिसके खिलाफ विभाग ने शिकायत पुलिस को दे दी है। वहीं विभाग की टीम ने क्लिनिक में रखी लाखों की दवाइयां भी सील कर दी है। इतना ही नहीं नकली डॉक्टर एक सिरिंज का इस्तेमाल कई लोगो को इंजेक्शन लगाने में भी करता था। विभाग ने गुप्त सुचना के आधार पर की थी।
बताया जा रहा है कि बंगाली डॉक्टर सुशानदास पिता जीवनदास निवासी शमीपुर कोलकत्ता नामक झोला छाप डॉक्टर लोगों को न केवल दवाइयां वितरित करता बल्कि उनके ऑप्रेशन भी करता था। फि़लहाल डॉक्टर खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के डा अकबर खान ने बताया की नकली पेशंट बनकर गए तभी सागर ने उन्हें बीपी हाई होने की बात कहते हुए इंजेक्शन लगाने की बात कही उन्होंने फर्जी डॉक्टर की यह बात सुनी, तो उन्होंने अपनी पहचान बता उससे डिग्री दिखाने को कहा। इतना सुनते ही फर्जी डॉक्टर सन्न रह गया। इतने में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोल ऑफिस की टीम भी क्लीनिक में एंटर कर गई और उसके बाद फर्जी डॉक्टर के ड्रामे की परतें खुलती गईं। इस दौरान पता चला कि उसके पास दवाइयां रखने की प्रमिशन न होते हुए भी दर्जनों एंटी बायोटिक दवाइयों को रखा हुआ है।
मामले की जानकारी देते हुए डा अकबर खान ने बताया कि उन्हें इस बंगाली डॉक्टर के बारे में शिकायत मिली थी कि यहां एक डॉक्टर बिना डिग्री के क्लीनिक चला रहा है। इस पर रेड की तो आरोपी का सारा खेल सामने आ गया। उन्होंने बताया कि यहां पर एक सिरिंज का इस्तेमाल बार-बार किया जाता है जिसके चलते मरीजों को कई अन्य बीमारियां होने का भी खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जा रहा है व सभी दवाइयां सील की जा रही है। वहीं इस बारे में जब आरोपी झोला छाप डॉक्टर से बात की गई तो वह आपने आप को कसूर बताने लगा।
फिलहाल विभाग ने आरोपी के खिलाफ यहां 18सी एक्ट का उल्लंघन करने जिसमें बिना लाइसेंस के दवाइयां रखना शामिल है। वहीं कोई रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या डिग्री न होने, इसके अलावा बार-बार इस्तेमाल की जाने वाली सीरिंजें और गुलूकोज की बोतलें भी बरामद हुई हैं। इन्हें सील कर कब्जे में ले लिया गया है। आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत , एवं मप्र आयुर्विज्ञान अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने के लिए भी पुलिस को लैटर लिख दिया है।