झाबुआ : गर्मियों में प्यासे कंठ को तर करने के लिए प्याऊ तो कई लोग लगाते हैं लेकिन मूक पक्षियों की कोई सुध नहीं लेता। राजवाड़ा मित्र मंडल ने इस दिशा में पहल करते हुए हुए घर-घर मिट्टी के पात्र बाटने का अभियान छेड़ा है। अब तक ढाई सो पात्र वितरित किए जा चुके हैं।
इन दिनों भयंकर गर्मी पड़ रही है और इस गर्मी में अगर सबसे ज्यादा शामत किसी की आ रही है तो वे है बेजुबान पक्षी। पेड़-पौधे, नदी-पर्वत की तरह पशु-पक्षी भी पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। बेजुबान पक्षियों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, धर्म है। गर्मी विकराल रूप ले चुकी है। हर वर्ष न जाने कितने ही बेजुबान पंछी इस भयानक गर्मी में पानी न मिलने से दम तोड़ देते हैं। अगर आप घर के किसी टूटे-फूटे बर्तन में इनके लिए कुछ पानी और बाजरा आदि अनाज के कुछ दाने घर की छत पर रख देंगे तो इन बेजुबान पंछियों को इस भयानक गर्मी में भोजन और पानी की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा। याद रखें कोई भी पुण्य कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता, क्या पता आपका ये पुण्य आपके किस काम आ जाए।
बदलते पर्यावरण के बीच पक्षियों के लिए यह दौर चिंताजनक हो गया है। सबसे बड़ी चुनौती पक्षियों को गर्मी के मौसम में पीने के पानी की होती है। गावों में तो हालत फिर भी ठीक है पर शहरों में तो इन मासूमों को पीने को पानी ही नसीब नहीं हो रहा है और इसकी जिम्मेदारी किसी सरकार की नहीं हमारी खुद की है। पक्षियों का यूं प्यासा रहना हमारे लिए अशुभ है। संसार के लिए भी और समूचे पर्यावरण के लिए भी। इनकी पुकार को सुनें और इनके लिए जलपात्र घर की छतों पर रखें ताकि ये प्यासे न मरें। इन्हें जीवन मिले, संरक्षण मिले, मान मिले। यह सब हमारे ही हित में है। इन पक्षियों के सुरक्षित जीवन के लिए जल का प्रबंध जरूर करें। गर्मी में प्यास से सैंकड़ों पक्षियों की मौत हो जाती है या उन्हें काफी भटकना पड़ता है। परिंदों की इस तड़प को रोका जा सकता है महज एक जलपात्र रखकर।
इन दिनों भयंकर गर्मी पड़ रही है और इस गर्मी में अगर सबसे ज्यादा शामत किसी की आ रही है तो वे है बेजुबान पक्षी। पेड़-पौधे, नदी-पर्वत की तरह पशु-पक्षी भी पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। बेजुबान पक्षियों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, धर्म है। गर्मी विकराल रूप ले चुकी है। हर वर्ष न जाने कितने ही बेजुबान पंछी इस भयानक गर्मी में पानी न मिलने से दम तोड़ देते हैं। अगर आप घर के किसी टूटे-फूटे बर्तन में इनके लिए कुछ पानी और बाजरा आदि अनाज के कुछ दाने घर की छत पर रख देंगे तो इन बेजुबान पंछियों को इस भयानक गर्मी में भोजन और पानी की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा। याद रखें कोई भी पुण्य कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता, क्या पता आपका ये पुण्य आपके किस काम आ जाए।
बदलते पर्यावरण के बीच पक्षियों के लिए यह दौर चिंताजनक हो गया है। सबसे बड़ी चुनौती पक्षियों को गर्मी के मौसम में पीने के पानी की होती है। गावों में तो हालत फिर भी ठीक है पर शहरों में तो इन मासूमों को पीने को पानी ही नसीब नहीं हो रहा है और इसकी जिम्मेदारी किसी सरकार की नहीं हमारी खुद की है। पक्षियों का यूं प्यासा रहना हमारे लिए अशुभ है। संसार के लिए भी और समूचे पर्यावरण के लिए भी। इनकी पुकार को सुनें और इनके लिए जलपात्र घर की छतों पर रखें ताकि ये प्यासे न मरें। इन्हें जीवन मिले, संरक्षण मिले, मान मिले। यह सब हमारे ही हित में है। इन पक्षियों के सुरक्षित जीवन के लिए जल का प्रबंध जरूर करें। गर्मी में प्यास से सैंकड़ों पक्षियों की मौत हो जाती है या उन्हें काफी भटकना पड़ता है। परिंदों की इस तड़प को रोका जा सकता है महज एक जलपात्र रखकर।
गर्मियों के दौरान हर साल हजारों पक्षी प्यास के कारण मर जाते है इस स्थिति को देखते हुए राजजाड़ा मित्र मंडल के सदस्यों ने अपनी ओर से लोगों के मिट्टी के पात्र देने का निर्णय लिया। अभियान को मूर्त रूप देने के लिए मेघनगर में 500 मिट्टी के पात्र तैयार करवाये जा चुके है। प्रत्येक पात्र की क्षमता एक लीटर है पात्र तैयार करवाने के बाद सदस्यों ने अलग-अलग टीम बनाकर मोहल्ले- मोहल्ले पात्र वितरित किए। साथ ही लोगों से आग्रह किया के वे अपने घर की छत या दीवार पर इन पात्रों में पानी भरकर जरूर रखें त्ताकि गर्मी में पक्षी अपनी प्यास बुझा सके। अभियान को मूर्तरूप देते में राज़बाड़ा मित्र मडल के संरक्षक ब्रजेंद्र शर्मा, देवेंद्र सिंह चौहान, अजय सोनी , अंकुश काठी, विशाल जैन, गौतम त्रिवेदी, बंटू , देवेंद्र पांचाल , नीरज संघवी , प्रमोद परमार , अंकित गोखरू आदि लगे है ।
होर्डिंग से कर रहे प्रेरित
राजवाड़ा मित्र मंडल द्वारा शहर में होर्डिंग लगाकर लोगो को प्रेरित किया जा रहा है , वे गर्मियों के दिन में अपने घरो की छत पर पानी का बर्तन भरकर जरूर रखे ताकि प्यास की वज़ह से किसी परिंदे की मौत न हो।
आप भी अपने स्तर पर यह कर सकते है
- पक्षियों के पानी के लिए जो बर्तन रखे वे ज्यादा गहरे न हो , साथ ही इनके किनारे ज्यादा तीखे न हो , जिससे की इनके कोमल पंखो और अंगो को नुकसान न हो।
- इस बर्तनो को समय समय पर साफ़ करते रहे जिससे इनमे गन्दगी जमा न हो
- रोजाना पानी जरूर बदले
- प्लास्टिक या धातु की जगह मिट्टी की बर्तन में पानी रखे
छोटासा प्रयास देगा सुकून
पक्षी पर्यावरण को जीवंतता देते है , ये चहचहाते है तो जिंदगिया खिलखिला उठती है प्रकृति के बदलाव का सूचक ये जीव सभी मायने में हमे जीवन को जीना सिखाते है। वर्त्तमान में प्रकृति के साथ हमारी ज्यादतियां की मार ही हमे झेलनी पड़ रही है , कई प्रजातिया विलुप्त हो चुकी है और कई इसकी कगार पर है इन्हे बचने के लिए हम काम से काम हमारे घरो में परडे तो लगा ही सकते है ताकि भीषण गर्मी से मरते हुए इन परिंदो को बचाया जा सके।ब्रजेंद्र शर्मा , संरक्षक
( राजवाड़ा मित्र मंडल झाबुआ )