झाबुआ :आॅल इण्डिया बज़्मे सईद एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में उस्ताद शाईर असर इन्दौरी के झाबुआ प्रवास के दौरान ‘‘एक शाम असर इन्दौरी के नाम‘‘ का आयोजन डाॅ वाहिद फ़राज़ के निवास स्थान पर किया गया । कार्यक्रम मशहूर शायर एजाज़ नाज़ी धारवी की अध्यक्षता, वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.रामशंकर ‘‘चंचल‘‘ के मुख्य आतिथ्य एवं डाॅ वाहिद फ़राज़ के संचालन में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर नगर के प्रमुख आमंत्रित कवियों एवं शायरों ने कार्यक्रम में शिरकत कर अपने अपने मुरस्सा कलाम कुछ इस तरह प्रस्तुत किये। श्री अयाज़ुद्दीन ‘‘अयाज़‘‘ सब से आला है तेरी शान मदीने वाले, तुझ पे नाज़ील हुआ क़ुरआन मदीने वाले। हाजी श्री अब्दुल ग़नी ‘‘ मिल गया है दरे मुस्फ़ा अब किसी दर की हाजत नहीं, मांगते हंै जो दिल की सदा मांगने की ज़रूत नहीं। श्री ग्यासुद्दीन अन्जुम ‘‘तल्ख़ बातों वो मेरे दिल को दुखा देते हैं, इस तरह वो मेरी वफ़ाओं का सिला देते हैं। संस्था के जिला संयोजक श्री भेरूसिंह चौहान‘‘तरंग ये कविता मेरे दिल से क्यों आज निकल रही है,तकरीर की ये लकीरें देखो आज बदल रही है। श्री ईरफ़ान अलिराजपुरी ‘‘मुझको बैसाखी न अपनी यॅंू दिखाए कोई,लाख छोटा हॅंू मैं पेरों पे खड़ा रहता हॅंू। डाॅ.वाहिद ‘‘फ़राज़‘‘ या ख़ुदा उस्ताद और माॅं बाप का मेरे सर पर रखना साया देर तक। श्री एजाज़ नाज़ी धारवी ‘‘आॅंख जागी थी पर मैं सोया था, क़ीमती वक़्त मैंने खोया था। डाॅ.रामशंकर ‘‘चंचल‘‘ मन के आकाश में सुदूर पंक्षी, आखि़र लोट आया मन के अन्दर।
कार्यक्रम के आधार स्तम्भ श्री असर इन्दौरी के स्तरीय कलामों को सामईन ने भरपूर आनन्द उठाया। श्री असर इन्दौरी ने ग़ज़ल नातेपाक सलाम एवं राष्ट्रीय नज़म मेरा वतन से सामइन को औतप्रोत कर दिया। इस अवसर पर श्रेत्रिय फिल्म कलाकार एवं शायर श्री इरफ़ान अलिराजपुरी के द्वारा अपनी आदिवासी फिल्म अंगूरी बनी अंगारा की सीडी का विमोचन भी उस्ताद शायर श्री असर इन्दौरी एवम अथीथियो के करकमलों द्वारा करवाया गया। अन्त में संस्था की और से श्री ग्यासूद्दीन ‘‘ग्यास‘‘ द्वारा आभार प्रकट किया जा कर कार्यक्रम समाप्त किया गया।