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गायत्री मंदिर में योग परिवार द्वारा दो दिवसीय योग प्रशिक्षण का समापन

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         झाबुआ : योग का लक्ष्य ही आत्मार्थ मोथार्थे जगत हिताय च होता है । आज कल जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में योग कहते है वह वास्तव में योग का एक अंग है। इन्हे योग मे आसन कहा जाता है । योग में यम, नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान एवं समाधि आता है । जिसे शास्त्रों मे अष्टांग योग कहा जाता है । योग की परिभाषा मे आत्मा का परमात्मा से मिलन के लिये जो क्रियायें होती है वही योग कहा जाता है । पृथ्वी पर जितने भी चर अचर प्राणी हैै परमात्मा का अनुग्रह सब पर समान रूप से होता है इसलिये आवश्यक  है कि सभी के प्रति परस्पर सौहार्द्र एवं प्रेम भाव बना रहे तथा मन की कलुषिता को पूरी तरह समाप्त करने का प्रयास किया जावे,यही योग का उद्देश्य  भी है । योग क्रिया 3 स्तर पर होती है प्रथम भौतिक, दूसरी मानसिंक एवं तीसरी आध्यात्मिक इन तीनों को अंगीकार करने से मानव दीर्घायु तो होता ही है साथ ही पूरा जीवन भी आरोग्यमय रह कर स्वस्थ रहता है ।  

           
             उक्त सारगर्भित बात शुक्रवार को प्रातः 6 बजे स्थानीय गायत्री मंदिर में योग परिवार की महिलाओं को योग क्रियाओ एवं आसन प्राणायाम की जानकारी देते हुए आनन्द मार्ग की उज्जैन सेे पधारी अवधूतिका आनन्द शुद्धा आचार्या ने आयोजित षिविर में व्यक्त किये । इनके साथ ही पंजाब से आई अवधूतिका आनन्द चिन्मया आचार्या, एवं रायपुर से पधारी अवधूतिका आनन्द देवलीना आचार्य ने भी योग एवं आसन के बारे में योग परिवार की महिलाओं को विभिन्न प्रकार की योग साधना , एवं आसन के माध्यम से सही तरिके से योगक्रियायें करके जीवन को आनन्दमय बनाने का सन्देष दिया । 
                     गायत्री मंदिर पर योग परिवार की महिलाओं को अवधूतिकात्रय ने पादहस्त आसन, योग मुद्रा, दीर्घ प्रणाम, पष्चिमोत्तसन एवं कोशिकी नृत्य के माध्यम से विभिन्न आसनों के माध्यम से स्वस्थ जीवन के गुढ रहस्यों को करवाया । कोशिकी  नृत्य महिलाओं एवं पुरूषो दोनों के लिये काफी उपयोगी है । अवधूतिका आनन्दषुद्धा आचार्य ने स्वयं ही नृत्य के माध्यम से किस प्रकार शरीर के प्रत्येक अंग प्रत्यंग का व्यायाम होता है, करवाया और कहा कि यह नृत्य अत्यन्त ही सहज होकर जब तक थकान नही आ जावे तब तक करना चाहिये । इस नृत्य के 18 स्टेप्स होते है जो बहुत ही आसान होकर हर कोई कर सकता है । इस अवसर पर योग परिवार प्रमुख कु. रूकमणी वर्मा के अलावा श्रीमती मधु जोषी, ज्योति जोषी, षिवकुमारी सोनी, जरीना अंसारी, मंगला राठौर, अंषु मेहता, माया पंवार, ममता जैन, साधना वास्केल, भावना शाह, गायत्री, हंसा उपाध्याय, सिद्धी मालवीया, उर्वषी मालवीया, शांतिभाभी आदि ने अवधूतिकात्रय से योगासन के तरिकों को सीखों तथा रूकमणी वर्मा के अनुसार योग परिवार की महिलाओं द्वारा बताये गये योगासन को अंगीकार करके नियमित रूप से इसका अनुसरण किया जावेगा । गुरूवार एवं षुक्रवार दो दिनो तक गायत्री मंदिर में योग परिवार के इस षिविर में अवधूतिकात्रय नेे अपना अमूल्य समय देकर योग रखे निरोग के महामंत्र को देने में समय दिया उसके लिये उनका योग परिवार की महिलाओं ने आत्मीय आभार व्यक्त किया।

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