झाबुआ : आंनद मार्ग अध्यात्म सेवा केन्द्र द्वारा स्थानीय गोडी पार्श्वनाथ मंदिर पर दो दिवसीय रोग एवं ध्यान प्रशिक्षण शिविर के अन्तिम दिन रविवार को आचार्य सुस्मितानंद अवधूत ने प्रातः 7 बजे से उपस्थित रोग शिविराधियों को योगासन के बारे मे विस्तार से प्रशिक्षण देते हुए सर्वगासन , मत्स्यासन , पश्चिमोत्तासन , चक्रासन, के अलावा शंशाकासन , भावासन, उत्कटासन , मर्कटासन, कर्मासन, ग्रंथिमुक्तासन, क्रिया के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया ।
उन्होंने नृत्य को भी आसन का एक अंग बताया तांडव नृत्य बताते हुए उन्होंने जानकारी ही कि इस आसन को करने से समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है, भय की भावना का पूरी तरह निर्मूलन हो जाता है। यही एक मात्र कृत्य है जिससे स्मरण शक्ति में चमत्कारिक तरीके से बडोत्तरी होती है तथा आदमी का सम्पूर्ण जीवन भयमुक्त होकर दीर्घायु होता है ।
स्वामी ने सिखाए योगासन
स्वामी सुस्मितानंद के सहयोग आचार्य वशिष्ठ ब्रह्मचारी ने भी विभिन्न आसनों के माध्यम से उपस्थित जनों को योगासन के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर आचार्यजी ने कौशिकी नृत्य, तांडव नृत्य एवं ललित नृत्य जो बाबा नाम केवलम उच्चारण के साथ किया जाता है के प्रभावों के बारे में बताया । वहीँ मंदिर के ऊपरी सभागृह में महिलाओं के लिए भी योगाभ्यास प्रशिक्षण अवधूतिका आनन्दशुद्धा आचार्या, आनन्द चिन्मया एवं आनन्द देवलीना ने देते हुए सर्वगासन , मत्स्यासन , पश्चिमोत्तासन , चक्रासन, के अलावा शंशाकासन , भावासन, उत्कटासन , मर्कटासन, कर्मासन, ग्रंथिमुक्तासन, क्रिया के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया ।
महिलाए एवं बच्चे हो रहे शामिल
करीब डेढ घंटे तक चले महिलाओं एव पुरुषों के योगासन शिविर में बडी संख्या में महिलाओं एव युवकों तथा स्कूली बच्चो ने सहभागिता की । आचार्य सुस्मितानंद अवधूत एवं आचार्या अवधूतिका आनन्दशुद्धा ने योगासन को जीवन को निरोगी बनाए रखने तथा किसी भी प्रकार के टेंशन से मुक्ति पाने का एक मात्र उपाय बताया । उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति नियमित रूप से रोग को अपने जीवन का अंग बनालेवें तो वह दीर्घायु होने के साथ ही आरोग्यमय जीवन व्यतित कर सकता है ।