भगवान ऋषभदेव द्वारा ही सृष्टि को असी, मसी और कृषि का ज्ञान दिया गया
झाबुआ ।श्रमण संस्कृति जैन परंपरा के वर्तमान के प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री 1008 ऋषभदेवजी ( आदिनाथ) का जन्म कल्याणक चैत्र कृष्ण नवमी बुधवार को बडे ही हर्षोल्लास एवं भक्तिभाव के साथ मनाया गया । समाज की सदस्या भूमिका आशीष डोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि दिगंबर जैन पुरूष मंडल द्वारा प्रातः श्री ऋषभदेव जी का भक्तिभावना के साथ अभिषेक तथा विश्वशांति के लिये शांतिधारा का अनुष्ठान किया गया । तत्पश्चात सकल समाजजनों की उपस्थिति में महिलाओं द्वारा कलशयात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होने हुए पुनः श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन जैन मंदिर पहूंची। जहां महिलाओं द्वारा नित्य नियम की पूजा तथा भगवान ऋषभदेव की पूजन की गई ।
इस अवसर पर बताया गया कि भगवान ऋषभदेव द्वारा ही सृष्टि को असी, मसी और कृषि अर्थात वाणिज्य, व्यापार और कला का ज्ञान दिया गया था । प्रभावना का लाभ महिला समुह ने लिया । सायंकाल मंदिरजी मे आरती के प्श्चात मानतुंग आचार्य द्वारा रचित भक्ताम्बर पाठ किया गया । इस अवसर पर समाजजनों द्वारा प्रभू की भक्ति की गई । महिला मंडल द्वारा ऋषभदेवजी के जीवन संबंधी प्रश्न मंच का आयोजन किया गया एवं विजताओं को पुरस्कार वितरित किये गये ।