जय जय ज्योतिचरण जय जय महाश्रमण के जयकारेा के साथ गूंजा सभा भवन
झाबुआ : जैन श्वेतांबर तेरापंथ संघ के सरताज महातपस्वी , महायशस्वी ,महामनस्वी , शान्तीदूत आचार्य श्री महाश्रमण का 56 वा जन्मोत्सव स्थानीय लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित तेरापंथ सभा भवन मे जप , तप व धार्मिक आराधना के साथ मनाया गया। जिस कृति को दो आचार्य- यूगप्रधान आचार्य श्री तुलसी व महाप्रज्ञ ने सजाया व संवारा , वो कृति किसी अरिहंत से कम नही हो सकती -इन विचारो के साथ संपूर्ण समाज ने गुरु के दीर्घायु की मंगलकामना करते हुए , सैकडो सैकडो वर्ष तक संघ का मार्गदर्षन करते रहे यह भावना व्यक्त की।
तेरापंथ सभा भवन ,, झाबुआ मे 4 मई गुरुवार को रात्रि 8 बजे समणी निर्वाण प्रज्ञा जी व मध्यसथ प्रज्ञा जी के सान्निध्य में परमपूज्य महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी का महोत्सव व पाटोत्सव बड़े ही उत्साह के साथ समग्र समाज की उपस्थिति मे मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ कृतज्ञ गादिया के णमोक्कार महामंत्र......मंगलाचरण से हुआ । समणी निर्वाण प्रज्ञा जी ने गुरूमहिमा व गुरूदेव की अभिवंदना मे विचार व्यक्त करते हुए कहां -गुरू ब्रहमा होते है क्योकि वह शिष्य के अंतर जगत का स्रष्टा है गुरू विष्णु होते है क्योकि वे शिष्य के सहस्रदल कमल को विकसित करते है गुरू महेष्वर होेते है वे शिष्य के अज्ञान लोक का संहार कर उसकेे अंतर लोक मे ज्ञान का भास्कर उगाते है अपने इन समस्त रूपो मे गुरू महाश्रमण परमात्मा स्वरूप है । मै उस सत्य पुरूष परमात्मा पुरूष महायोगी महातपस्वी की अभिवंदना करती हू जिनकी सन्निधि मात्र से हमारी समस्याओं का समाधान हो जाता है , जिनके पवित्र आभावलय से , पवित्र रष्मियो से हमारी सुप्त चेतना भी जाग्रत हो जाती है। आपे यी भी बताया कि वर्तमान मे आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से जन जन मे तीन उददेश्य सदभावना नैतिकता व नशामूक्ति के माध्यम से जनजागरण करते हुए जनकल्याण मे सतत अग्रसर है.
तेरापंथ समाज के अध्यक्ष नीरज जी गादिया ने अपने विचारो की अभिव्यक्ति दी , महिला मण्डल ने गीत के द्वारा आराध्य की अभिवंदना की । सोनिया कासवां व किरण चौधरी ने सुन्दर गीत की प्रस्तुति दी । ज्ञानशाला के बच्चे दिव्यांष व ओमी गादिया , दिव्य कोठारी , अश्रत ने महाश्रमण गुरु राज तेरा...........गीत पर सुंदर व आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति द्वारा श्रद्धालुओ का मन मोह लिया । कन्यामण्डल की कन्याए ऐंजल , रिद्धि , सिद्धि , कस्ती ने गीत महातपस्वी महाश्रमण की सूरत प्यारी-प्यारी ........ पर नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम मे पंकज कोठारी , नेहा कोठारी ने अपने विचारो की प्रस्तुति दी । समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी ने युवक परिषद व युवती मण्डल के सहयोग से सुंदर कार्यक्रम के द्वारा आचार्य श्री की अभिवंदना की। आचार्य श्री महाश्रमण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य मे उपवास, एकासन , बेयासना सहित करीब 25 तपस्या हुई। महाश्रमण के दरबार मे दुनिया बदल जाती है रहमत से हाथो की लकीर बदल जाती है जो भी दिल से लेता महाश्रमण का नाम एक पल मे उसकी तकदीर बदल जाती है ..........आदि कई मुक्तक के द्धारा कृतिका गादिया व खुषी कोठारी ने बडे ही रोचक ढंग से कार्यक्रम का संचालन किया ।

